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उर्मिल अध्याय

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ0 उर्मिल कुमार थपलियाल द्वारा लिखी हुई कहानियां, कविताएं और व्यंग देश के विभिन्न स्थापित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपते रहे हैं।  

उनमें रोज कुछ नया सीखने का, कुछ नया करने का उत्साह बना रहता था। इसीलिए वह मंच पर भी प्रयोग करने के लिए नए बच्चों को प्रोत्साहित करते थे। 

जैसे एक लेखक का मन कभी लिखने से ऊबता नहीं, इसी तरह पापा की लेखनी भी कभी रुकी नहीं। उनको अपने जीवन में सबसे ज्यादा प्रेम था अपनी पुस्तक, पैड और कलम से। निरंतर अपने कल्पनाओं के समंदर में गोते लगाते कुछ पढ़ते और अपनी लेखनी से अपनी कल्पनाओं को जीवंत कर देते। 

पापा के उन जीवंत पन्नों में से कुछ प्रकाशित और कुछ अप्रकाशित कविताओं, गीतों और नज़मो के साथ इस यूट्यूब चैनल उर्मिल अध्याय को शुरू करने का मन किया। 

पापा को श्रद्धांजलि के तौर पर उनकी कमी का रिक्त स्थान जो कभी भरा नहीं जा सकता, उस रिक्त स्थान को भरने का एक तुच्छ प्रयास।

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